आखिर क्यों रुक गए थे प्रभु जगन्नाथ के रथ के पहिए जानिए जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के बारे में तो हम सबको पता ही होगा हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा जोर-शोर से निकाली जाती है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ तीन रथों में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं. मान्यता है कि जो भी मनुष्य एक बार भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी को हाथ लगा देता है वह भव सागर से तर जाता है. परंतु आखिर ऐसा क्या कारण रहा होगा जिससे प्रभु जगन्नाथ के रथ के पहिए थम गए थे। ऐसा माना जाता है कि एक बार बीच सड़क में प्रभु जगन्नाथ के रथ के पहिए रद्द हो गए थे। सभी ने बहुत कोशिश की थी रथ के पहिए को आगे बढ़ाने की ,सहस्त्र वलवानो को साथ जुटाया गया रथ को खींचने के लिए कई हाथियों के बल प्रयोग किये गय परंतु किसी ने भी रथ के पहिए को एक बूंद भी ना हिला पाया। क्या आप जानते हैं कि क्यों उस दिन जगन्नाथ के रथ के पहिए को कोई भी हिला नहीं पाया था। ।।इतिहास।। कहा जाता है कि तब भारत में मुगलों का राज था।यह कहानी है भक्त सालबेग की जिसके पिता के मुसलमा
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